नयनों से नयन मिलें प्रणय निवेदन बन छाये तुम मुस्कानों से सूरत नहीं सीरत में गुलाब बन नयनों से नयन मिलें प्रणय निवेदन बन छाये तुम मुस्कानों से सूरत नहीं सीरत में ...
फिर बसन्त की आहट आई हर जगह फ्योंली मुस्काई फिर बसन्त की आहट आई हर जगह फ्योंली मुस्काई
प्रकृति और मनुष्य का साहचर्य प्रकृति और मनुष्य का साहचर्य
कोरोना महामारी को है हराना, तो अपनानी पड़ेगी ये तन्हाई। कोरोना महामारी को है हराना, तो अपनानी पड़ेगी ये तन्हाई।
बहुत हो चुकी छेड़खानी प्रकृति से कुछ तो खामियाजा चुकाना पड़ेगा, बहुत हो चुकी छेड़खानी प्रकृति से कुछ तो खामियाजा चुकाना पड़ेगा,
ज़रा पूछें उसका मिज़ाज चलें, आओ प्रकृति के पास चलें। ज़रा पूछें उसका मिज़ाज चलें, आओ प्रकृति के पास चलें।